परिकल्पना महोत्सव का विस्तृत मैदान और लक्ष्य-भेद करता एक जबरदस्त धनुर्धर ! कलम और दिमाग की पैनी धार , दूरदृष्टि , विलक्षण समझ = ब्लॉग तो जाने कितने लोगों ने बनाया , कितने लोगों ने टिप्पणी की फरमाइश में साल गुजार दिए . इस चाह से परे एक ब्लौगर रवीन्द्र प्रभात ने सारे ब्लोग्स की सूक्ष्म विवेचना की . एक समीक्षा लिखने में लोग त्रस्त हो जाते हैं , पर इस महान व्यक्ति ने सात घोड़ों के रथ पर सवार हो दसों दिशाओं की परिक्रमा की है .
'सारस्वत-सम्मान' देकर इन्होंने साहित्य की अवरोधित छवि को मुखर किया . मैं शुरू से अंत तक रवीन्द्र जी की अदभुत अलौकिक छवि को ही देखता रहा . आलोचकों ने तो वहीँ से कमर कस लिया था और मैं उनकी कासी हुई कमर पर हँस रहा था - आसान होता है समापन पर ऊँगली उठाना , पर कदम उठाकर कुछ साबित तो करो . सतयुग से आज तक आलोचना होती रही है , पर साथ ही साथ सार्थक साथ भी बना है .
सहज व्यक्तित्व , मृदु भाषी और कुशल अव्लोकनकर्ता ! आलोचनाओं की अग्नि में जलकर सोना बनते मैंने देखा है . लोग समझने में जितनी भी देर करें , परन्तु वक़्त इनका कायल है ! शिकायत करने से ना चूकना व्यक्ति की फितरत है , कोई चयन पर ऊँगली उठाता है , कोई भेदभाव का आरोप लगाता है = पर एक बार भी शांत मन से यह नहीं सोच पाता कि ब्लोगोत्सव में सबको समान मौका मिलता है . खुला मंच , फिर भी मनुहार का इंतज़ार .
परिकल्पना ,वटवृक्ष , शब्द-शब्द अनमोल , साहित्यांजलि इत्यादि इनके नगीने हैं . नागमणि की तरह रवीन्द्र प्रभात का दिमाग बहुत ही अनमोल है . कई लोग उसे पाने की ख्वाहिश रखते हैं , पर = यह तो अपनी मिलकियत है . इनका पूरा परिवार इनकी इस यात्रा में शामिल है .
आप http://www.blogger.com/profile/11471859655099784046 से हर दिशा में जा सकते हैं और इनकी उपलब्धियों पर गौर कर सकते हैं . जो शक्स सहस्त्रों ब्लोगों को एकत्रित कर सकता है , उस पर इतना वक़्त तो आप सब दे ही सकते हैं .
रवीन्द्र जी तो मिटटी को भी सोना बनाना जानते हैं ...
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी के बारे में आपकी कलम ने बिल्कुल सही कहा है ...इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बधाई एवं रवीन्द्र जी को शुभकामनाएं ...आभार ।
जवाब देंहटाएंरविन्द्र जी तो एक ही हैं ……………उनके जैसा परिश्रमी, लगन और धैर्य वाला इंसान मुश्किल से ही मिलता है पूरा ब्यौरा सिलसिलेवार रखना और प्रस्तुत करना अपने आप मे एक उपलब्धि है।
जवाब देंहटाएंवक्त की हर शै गुलाम।
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवींद्र जी हमारा मनोबल हैं,उन्हे हमारा ह्रदया भार।
जवाब देंहटाएंरविन्द्र जी के बारे में जितना कहा जाये कम है ..
जवाब देंहटाएंकल 25/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, ।। वक़्त इनका क़ायल है ... ।।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
रवीन्द्र सर को किसी विशेष परिचय की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि हिन्दी ब्लॉग जगत मे शायद ही कोई उन से अपरिचित होगा।
जवाब देंहटाएंसादर
रवीन्द्र जी हम सबों के लिए प्रेरणा हैं .उनको हार्दिक नमन .
जवाब देंहटाएंरविन्द्र जी जो कर रहे हैं वो अद्भुत है...अकल्पनीय है...प्रशंशनीय है...
जवाब देंहटाएंनीरज
Hum bhi inke kayal hain ...
जवाब देंहटाएंमुझे आप लोगो के बीच आये कुछ ही महीने हुए है , एक अच्छी जानकारी देने के लिए , आभार.... :):)
जवाब देंहटाएंरवीन्द्रजी का यह प्रयास बहुत सराहनीय है......
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी हम सबों के लिए प्रेरणा हैं
जवाब देंहटाएंरविन्द्र जी और आपका लेखन दोनों का आभार..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.
रवींद्र जी वास्तव में परिकल्पना पर प्रेम का भात बहुत स्वादिष्ट पकाते हैं.
जवाब देंहटाएंरविन्द्र जी के भागीरथ प्रयास की जितनी भी सराहना की जाय कम है ...
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी का कार्य स्तुत्य है।
जवाब देंहटाएंब्लाग जगत में आपका हृदय से स्वागत है।
रवीन्द्र जी का सार्थक प्रयाश, सराहनीय ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,
WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
हतप्रभ हूँ मैं और भावविभोर भी !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति .. बधाई
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए....
behad sundar prastuti ....badhai.
जवाब देंहटाएंहम सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं रवीन्द्र जी, सच तो यह है कि रवीन्द्र जी उन विरले लोगों में से एक हैं जिसे समय की कोख सदियों की पीड़ा के बाद जन्म देती है ....हमें गर्व है कि ऐसे व्यक्तित्व आज हमारे बीच हैं !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति .. बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंरवींद्र जी बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं.उनको नमन !
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन शख्सियत पर लाजवाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति..... आपको गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें.....
जवाब देंहटाएंयह तो सच है.
जवाब देंहटाएंsach Prabhat ji bemishal hastakshar hain..
जवाब देंहटाएंSarthak prastuti hetu aabhar!
निश्चित ही कुशल अवलोकनकर्ता है रविन्द्र जी!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!!
हिंदी की सेवा में सतत कार्यरत ...प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी ...रविन्द्र जी के बारे में और जानकारी पढ़कर अच्छा लगा ..ह्रदय से शुभकामनायें ...रविन्द्र जी को भी और सूत्रधार जी आपको भी ...इस नेक कार्य के लिए...
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