शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

दुखद ...


मैं सूत्रधार ... क्यूँ दुखी हूँ ? हमेशा से यही होता रहा है . ब्‍लॉगर्स को प्रब्‍लेस शिखर सम्‍मान मुबारक हो ! Prize  , जब ऐसी खुशियाँ आती हैं =  प्रब्लेस शिखर सम्मान की उद्घोषणा.....   . मैं किसी व्यक्तिविशेष को दोष नहीं देता , इस मनःस्थिति को हम सब जानते हैं कि बजाये खुश होने के लोग तलवार निकल लेते हैं व्यंग्य बाणों के ! 
अब हम कुछ देर के लिए मान लें कि दिए गए उदाहरण की तरह लिखित नामों ने खुद लिखा , खुद को पुरस्कृत किया ... तो हम क्या साबित कर रहे कि अपनी योग्यता को ये खुद फैला रहे . क्या सच में इन्हें पढ़ने के बाद यह प्रतीत होता है ? सूरज खुद निकलता है , प्रकाश देता है - पुरस्कृत करो न करो, सूरज ही होता है . 
रवीन्द्र जी हों या अविनाश जी या रश्मि जी = इनकी प्रतिभा से कौन इन्कार करेगा ? आलोचना तो ईश्वर की भी होती है = पर सत्य प्रतीक्षा नहीं करता . और यदि सत्य ने खुद को खुद पुरस्कृत किया है तो बाकी लोगों के लिए शर्म की बात है कि वे संकुचित रहे , उनके लिए आगे बढ़कर कुछ नहीं किया !!!

28 टिप्‍पणियां:

  1. अक्षरश: सही कहा है आपने ... आपकी बात से पूर्णत: सहमत हूं ...आभार ।

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  2. आपकी बातों में सच्चाई है . यह सारी दुनिया जानती है कि सच परेशान हो सकता है,पराजित नहीं ! सम्मान की प्रक्रिया पर आपत्ति हो सकती है,किन्तु किसी के सम्मान पर किसी को आपत्ति कैसे हो सकती है ? जब इस सम्मान के लिए मरे द्वारा एक वर्ष पूर्व ही प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गयी थी और प्राप्त प्रविष्टियों के आधार पर ही चयन हुआ है तो फिर ब्लॉग जगत के किसी चिरकुटानन्द को इससे नाराजगी कैसे हो सकती है जिन्होनें न तो किसी प्रकार की प्रविष्टि प्रेषित की और न किसी के नाम का अनुमोदन ही किया !

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  3. आपकी बातों में सच्चाई है . यह सारी दुनिया जानती है कि सच परेशान हो सकता है,पराजित नहीं ! सम्मान की प्रक्रिया पर आपत्ति हो सकती है,किन्तु किसी के सम्मान पर किसी को आपत्ति कैसे हो सकती है ? जब इस सम्मान के लिए मरे द्वारा एक वर्ष पूर्व ही प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गयी थी और प्राप्त प्रविष्टियों के आधार पर ही चयन हुआ है तो फिर ब्लॉग जगत के किसी चिरकुटानन्द को इससे नाराजगी कैसे हो सकती है जिन्होनें न तो किसी प्रकार की प्रविष्टि प्रेषित की और न किसी के नाम का अनुमोदन ही किया !

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  4. आलोचना तो ईश्वर की भी होती है = पर सत्य प्रतीक्षा नहीं करता . और यदि सत्य ने खुद को खुद पुरस्कृत किया है तो बाकी लोगों के लिए शर्म की बात है कि वे संकुचित रहे........

    इतने ज्ञानी है.... !!
    जिसने बहुत किया , उसने कहा ,
    मैंने कुछ नहीं किया..... !!

    जिसने कम किया ,उसने कहा ,
    मैने बहुत कुछ किया.... !!

    जिसने कुछ नहीं किया , उसने कहा ,
    मैंने सब कुछ किया.... !!

    पैमाना काम का ,और भांति - भांति के इंसानों ने अपना बनाया.... !!
    काम ने अपना पैमाना छिपाया ,इंसानों ने अपना बता दिया.... !! फिर दुखी क्यों है.... ?

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  5. लो जी अभी तो उदघोषणा हुई है और हाहाकार शुरु हो गया…………जय हो जय हो जय हो ब्लोगवुड तेरी जय हो…………तेरी महिमा न्यारी है ………अब मन मे कुछ आ गया है जो कविता मे ढलेगा और पक्का है उसके बाद सारे जूते हमारे ही सिर पर होंगे …………लेकिन हम भी कम थोडे हैं कहे बिना तो नही रहेंगे…………उन लोगों की तरफ़ से जिनका जिक्र करके भी नही किया आपने ………………हो जाओ तैयार होशियार खबरदार

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  6. अरे मेरी टिप्पणी कहाँ गयी अभी तो दिख रही थी …………दोबारा करती हूँ ।लो जी अभी तो उदघोषणा हुई है और हाहाकार शुरु हो गया…………जय हो जय हो जय हो ब्लोगवुड तेरी जय हो…………तेरी महिमा न्यारी है ………अब मन मे कुछ आ गया है जो कविता मे ढलेगा और पक्का है उसके बाद सारे जूते हमारे ही सिर पर होंगे …………लेकिन हम भी कम थोडे हैं कहे बिना तो नही रहेंगे…………उन लोगों की तरफ़ से जिनका जिक्र करके भी नही किया आपने ………………हो जाओ तैयार होशियार खबरदार

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    1. खेद है, आपकी टिप्‍पणी स्‍पैम में चले जाने की वजह से समय पर प्रकाशित नहीं हो सकी थी ... अपना सहयोग यूँ ही बनाये रखें ...आभार

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  7. लो जी अभी तो उदघोषणा हुई है और हाहाकार शुरु हो गया…………जय हो जय हो जय हो ब्लोगवुड तेरी जय हो…………तेरी महिमा न्यारी है ………अब मन मे कुछ आ गया है जो कविता मे ढलेगा और पक्का है उसके बाद सारे जूते हमारे ही सिर पर होंगे …………लेकिन हम भी कम थोडे हैं कहे बिना तो नही रहेंगे…………उन लोगों की तरफ़ से जिनका जिक्र करके भी नही किया आपने ………………हो जाओ तैयार होशियार खबरदार

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    1. तेजस्वी वंदना जी ,
      आप क्यूँ नाराज़ हो गईं ? क्या पहले लिंक पर आपको कारण नहीं मिला ? हर कोई अपनी उपलब्द्धि पर स्नेहिल शुभकामनायें चाहता है , पर यहाँ सबसे पहले मुंह बिचकाने की शुरुआत होती है ... आप ही कहिये , क्या यह उचित है ?

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    2. मै नाराज नही थी ना हूँ बस दुख हुआ कि ऐसा क्या कह दिया मैने तो टिप्पणी प्रकाशित नही हुयी…………धन्यवाद्………मगर लगता है लोगों ने आपकी और मेरी बात के गलत ही अर्थ निकाल लिये।

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  8. सूर्य को सूर्य होने का प्रमाण देने की अवश्यकता है???

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  9. ओह, आपकी पोस्‍ट पर दिए लिंक से सारा माजरा समझ आया। पहले तो प्रब्‍लेस शब्‍द समझ नहीं आ रहा था, लेकिन अब सबकुछ स्‍पष्‍ट है। साहित्‍य में पुरस्‍कार और सम्‍मान की परम्‍परा इस आधुनिक युग में प्रारम्‍भ हुई थी तो प्रत्‍येक संस्‍था इसी उद्योग में लग गयी है। खुश होने दीजिए ऐसे लोगों को, स्‍वयं की खुशी से ज्‍यादा इन सम्‍मानों का और कोई अर्थ नहीं है।

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  10. सूरज खुद निकलता है , प्रकाश देता है - पुरस्कृत करो न करो, सूरज ही होता है ....ekdam sahi baat!!

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  11. बिलकुल सही कह रहे हैं. प्रसन्न रहिये.

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  12. सटीक एवं तर्क युक्त प्रस्तुति .

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  13. जो सम्मान जैसे पाक लफ्ज के विरोध में बातें कर रहे हैं वे ब्लॉग जगत के नए-नए मुल्ले है. ये भी कहाबत मशहूर है कि नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है !

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  14. जो सम्मान जैसे पाक लफ्ज के विरोध में बातें कर रहे हैं वे ब्लॉग जगत के नए-नए मुल्ले है. ये भी कहाबत मशहूर है कि नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है !

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  15. mai to ek hi bat janta hu jaki rahi bhavnajaisi prabhu murti dekhi tim taisi...
    so enjoy

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  16. क्या फ़र्क पडता है पुरुस्कार मिलने से या न मिलने से...

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सूत्रधार आप सभी के विचारों का स्‍वागत करता है ...